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लेखनी कहानी -05-Nov-2022 नोटा

राजनीति के अखाड़े में "नोटा" अपने "सोटा" के साथ खम्म ठोक रहा था । अपराधी, बेईमान, चरित्रहीन , पलटूराम जैसे उम्मीदवार उसे डटकर चुनौती दे रहे थे । राजनीतिक दलों को ऐसे ही उम्मीदवार मिलते हैं । भले लोगों के लिए अब कहां बची है राजनीति ? अब तो बाहुबली, धनकुबेर, रंग रसियाओं के लिए लूट का सामान है यह राजनीति । वो तो जनता जनार्दन चिल्ला रही थी इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने "नोटा" के रूप में एक "झुनझुना" पकड़ा दिया था जनता को कि "जा बच्चा, इससे खेल और जो हो रहा है उसे होने दे" । बच्चा यानि कि जनता इस "अद्भुत" खिलौने से प्रसन्न हो गई और जय जयकार करने लगी । दरअसल उसे पता ही नहीं था कि इससे कुछ होने वाला नहीं है । मगर आंख के अंधे और गांठ के पूरों को कौन समझा सकता है । 
अब तक "नोटा" कभी "मैच विनर" नहीं रहा । अलबत्ता एकाध बार दूसरे स्थान पर जरूर रह चुका है । मगर अब शायद इतिहास बनने वाला है । कल पता चल जायेगा कि नोटा "दो नंबरी" ही रहेगा या इतिहास बनायेगा । 

हुआ यूं कि महाराष्ट्र में अंधेरी ईस्ट विधान सभा क्षेत्र लिए 3 नवंबर को मतदान हुआ था । मजे की बात यह थी कि यह सीट शिव सेना (ठाकरे ) के विधायक रमेश लटके के निधन से खाली हुई थी । शिव सेना ( ठाकरे ) ने मृतक रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को टिकिट देकर मैदान में उतार दिया जिसके विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना ( शिन्दे ) ने अपना उम्मीदवार उतार दिया था । फिर बड़ी नाटकीयता हुई वहां पर । बड़े बड़े नेता कहने लगे कि एक "विधवा" के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारना चाहिए था राजनीतिक दलों को । हालांकि इस तथाकथित नियम का पालन उन नेताओं ने कभी नहीं किया जो अब इसकी दुहाई देकर जमीन आसमान एक कर रहे थे । इस भावुक प्रसंग पर एक "प्रेम पत्र" राज ठाकरे ने भी फड़नवीस को लिख मारा । प्रेम पत्र पढकर हर कोई पसीज जाता है , तो फड़नवीस भी कैसे नहीं पसीजते ? वे पसीज गये और उन्होंने अपने उम्मीदवार को नाम वापस लेने का फरमान सुना दिया । मन मारकर बेचारे ने अपना नाम वापस भी ले लिया । 

पर राजनीति बड़ी गंदी चीज है । नाम वापस लेकर जो अहसान भारतीय जनता पार्टी ने शिव सेना (ठाकरे) पर किया था उस पर पलीता लगाते हुए उद्धव ठाकरे ने अहंकार में चूर होकर कह दिया "कमला बाई हार के डर से मैदान छोड़कर भाग गई" । बड़ा तीखा हमला था यह । पहले तो विधवा की दुहाई देकर उम्मीदवार हटवा दिया और अब ऐसी छिछोरी हरकत ? पर शर्म कहां बची है राजनीति में ? 

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अपने उम्मीदवार का नाम वापस लेने से पहले से ही नाराज थे और इस "बयान" ने इसमें आग में घी का काम किया । उन्होंने भी कमर कस ली और दृढ संकल्प कर लिया कि वे "नोटा" से ऋतुजा लटके को हरायेंगे । उनका कोई उम्मीदवार तो था नहीं इसलिए उन्होंने "नोटा" को ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया और नोटा के सोटे से ऋतुजा को "लटकाने" का प्रचार जोर शोर से कर दिया । अब कल यानि 6 नवंबर को इसका परिणाम घोषित होगा । 

अच्छा, एक मजे की बात बताते हैं । इस विधान सभा क्षेत्र में लगभग तीन लाख मतदाता हैं मगर वोटिंग केवल 29 % ही हुई है । ऋतुजा लटके के अलावा तीन चार उम्मीदवार और हैं मैदान में , वो भी निर्दलीय । अब तो मूंछों का सवाल बन गया है यह चुनाव । क्या लटके विधान सभा पहुचेंगी या कमला बाई "नोटा" से कोई खेल करेगी ? यह देखना दिलचस्प होगा । मगर एक बात बता दें कि यदि "नोटा" जीत गया तो भी वह विजयी घोषित नहीं होगा । क्योंकि कानूनन उसका कोई महत्व नहीं है । नंबर दो पर जो उम्मीदवार होगा वही विजयी घोषित किया जायेगा । जैसा कि लोग बता रहे हैं कि कम मतदान के पीछे भी यही कारण है । 

अब यदि "नोटा" नंबर एक बनकर उभरा तो ठाकरे खानदान की क्या इमेज रह जायेगी , इसका अंदाजा आप लोग भली भांति लगा सकते हैं क्योंकि आप सब लोग बहुत बुद्धिमान हैं । मैं एक साधारण सा आदमी क्या बता सकता हूं आपको ?  तो,कल देखते हैं फिर कि नोटा ताल ठोकेगा या दो नंबरी ही बना रहेगा ? 

श्री हरि 
5.11.22 

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8 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 04:52 PM

बहुत ही सुन्दर

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:20 PM

धन्यवाद मैम

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Teena yadav

05-Nov-2022 05:13 PM

Superb

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:20 PM

धन्यवाद मैम

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Haaya meer

05-Nov-2022 04:40 PM

Amazing

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:21 PM

धन्यवाद मैम

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